
वैद बनके श्याम मथुरा से चले
गाँव बरसाने आना गजब हो गया
जंगली बूटी से उसने है झोली भरी
उसमे मुरली छुपाना गजब हो गया
श्याम गलियों में जाकर के आवाज दी
,कोई बीमार हो आ गए वैद जी
दीन दुखियों को देते दवा मुफ्त में
ऐसा अवसर गंवाना गजब हो गया
वैद बनके श्याम ...........||1||
इतना सुनकर के ललिता ने लीन्हा बुला
करके आदर से चौकी पर दीन्हा बैठा
नब्ज मेरी भी तो देखिये वैद जी
आंसू आँखों में आना गजब हो गया
वैद बनके श्याम..............||2||
श्याम हंसके कहे रोग कुछ भी नहीं
नैन काजल लगाने से सही हो गये
लड़ गए नैन से नैन जाओ वहीं
ऐसा अवसर गंवाना गजब हो गया
वैद बनके श्याम ..............||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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