
अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की॥
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्यामा की॥
कटीली भोंहे अदा बांकी, सुघर सूरत मधुर
बतियाँ
लटक गर्दन की मन बसियाँ, हमारे श्याम
श्यामा की
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्यामा की॥
अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की ॥
मुकुट और चन्द्रिका माथे, अधर पर पान
की लाली
अहो कैसी बनी छवि है, हमारे श्याम
श्यामा की
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्यामा की॥
अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की ॥
परस्पर मिलके जब विहरें, श्री वृन्दावन के
कुन्जो में
वही पर नित बने शोभा, हमारे श्याम
श्यामा की
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्यामा की॥
अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की ॥
नही कुछ लालसा धन की, नही निर्वाण
की इच्छा
सखी श्यामा को हो दर्शन , दया हो श्याम
श्यामा की
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्यामा की॥
अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की ॥
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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