मैली चादर ओढ़ के कैसे  द्वार तुम्हारे आऊँ  ,

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ,



मैली चादर ओढ़ के कैसे ,द्वार तुम्हारे आऊँ  ,
हे पावन परमेश्वर मेरे ,मन ही मन शरमाऊँ |

तूने मुझको जग में भेजा ,निर्मल देकर काया ,
आकर इस संसार में मैंने ,इसको दाग लगाया ,
जनम, जनम,की मैली चादर ,कैसे दाग छुड़ाऊं  ||१||

निर्मल वाणी पाकर तुझसे ,नाम न तेरा गाया ,
नैन मूंदकर हे परमेश्वर, कभी ना तुझको ध्याया ,
मन वीणा की तारें टूटी ,अब क्या गीत सुनाऊँ ||२||

इन पैरों से चल कर तेरे ,मंदिर कभी न आया ,
जहां जहां हो पूजा तेरी ,कभी ना शीश झुकाया ,
हे हरिहर मैं हार के आया ,अब क्या हार चढ़ाऊँ ||३||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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