मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ,
published on 17 September
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मैली चादर ओढ़ के कैसे ,द्वार तुम्हारे आऊँ ,
हे पावन परमेश्वर मेरे ,मन ही मन शरमाऊँ |
तूने मुझको जग में भेजा ,निर्मल देकर काया ,
आकर इस संसार में मैंने ,इसको दाग लगाया ,
जनम, जनम,की मैली चादर ,कैसे दाग छुड़ाऊं ||१||
निर्मल वाणी पाकर तुझसे ,नाम न तेरा गाया ,
नैन मूंदकर हे परमेश्वर, कभी ना तुझको ध्याया ,
मन वीणा की तारें टूटी ,अब क्या गीत सुनाऊँ ||२||
इन पैरों से चल कर तेरे ,मंदिर कभी न आया ,
जहां जहां हो पूजा तेरी ,कभी ना शीश झुकाया ,
हे हरिहर मैं हार के आया ,अब क्या हार चढ़ाऊँ ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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