नाम हरी का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा
published on 17 September
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नाम हरी का जप ले बन्दे,
फिर पीछे पछतायेगा ।
तू कहता है मेरी काया,
काया का घुमान क्या ।
चाँद सा सुन्दर यह तन तेरा ,
मिटटी में मिल जाएगा ||1||
बाला पन में खेला खाया,
आया जवानी मस्त रहा ।
बूडा पन में रोग सताए,
खाट पड़ा पछतायेगा ||2||
वहां से क्या तू लाया बन्दे,
यहाँ से क्या ले जाएगा ।
मुठ्ठी बाँध के आया जग में,
हाथ पसारे जाएगा ||3||
जपना है सो जपले बन्दे,
आखिर तो मिट जाएगा ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
करनी का फल पायेगा ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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