तुम मोरी राखो लाज हरि

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तुम मोरी राखो लाज हरि |

तुम जानत सब अन्तर्यामी , 
करनी कछु ना करी ||1||

औगुन मोसे बिसरत नाही, 
पल छिन घरी घरी ||2||

दारा सुत धन मोह लिए हो,
 सुध बुध सब बिसरी ||3||

सूर पतित को बेग उबारो, 
अब मेरी नाव तरी  ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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