तुम मोरी राखो लाज हरि
published on 17 September
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तुम मोरी राखो लाज हरि |
तुम जानत सब अन्तर्यामी ,
करनी कछु ना करी ||1||
औगुन मोसे बिसरत नाही,
पल छिन घरी घरी ||2||
दारा सुत धन मोह लिए हो,
सुध बुध सब बिसरी ||3||
सूर पतित को बेग उबारो,
अब मेरी नाव तरी ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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