रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया ।
published on 17 September
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रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया ।
रघुकुल नन्दन कब आवोगे भिलणी की डगरिया ।।
मैं सबरी भिलनी जाति की भजन भाव नहीं जाणूं रे ,
राम तुम्हारे दर्शन खातर वन में बाट जोऊँ रे ,
चरण कमल से निर्मल कर दे दासी की झोपडिया ||1||
रोज सवेरे वन में जाकर फल चुन चुन कर लाती हूँ ,
अपने प्रभु के सन्मुख रखकर प्रेम से भोग लगाती हूँ
मीठे मीठे बेरों की भर लायी रे छबडिया ||2||
सुन्दर श्याम सलोनी सूरत नैणां बीच बसाऊँगी ,
पद पंकज की रज धर मस्तक जीवन सफल बनाऊँगी ,
भूल गये क्यों प्रभुजी मेरे दासी की डगरिया ||3||
नाथ तेरे दर्शन की प्यासी मैं अबला इक नारी हूँ,
दर्शन बिन ये नैना तरसे सुन लो बड़ी दुखियारी हूँ ,
एक झलक दिखला दो रामजी डालो नजरिया ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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