हनुमत डटे रहो आसन पर
published on 17 September
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हनुमत डटे रहो आसन पर
जब तक कथा राम की होय |
माथे इनके मुकुट विराजे ,
कानन कुंडल सोहे |
एक काँधे पर राम विराजे ,
दूजे लक्ष्मण होय ||१||
एक काँधे पर मुगदर सोहे ,
दूजे परवत होय |
लड्डुअन का तेरो भोग लगत है ,
हाथ पसारे लोग ||२||
तुलसीदास आस रघुवर की ,
हरि चरनन चित होय |
अंग तुम्हारे चोला सोहे ,
लाल लंगोटा होय ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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