हनुमत डटे रहो आसन पर

हनुमत डटे रहो आसन पर



हनुमत डटे रहो आसन पर
जब तक कथा राम की होय |

माथे इनके मुकुट विराजे ,
कानन कुंडल सोहे |
एक काँधे पर राम विराजे ,
दूजे लक्ष्मण होय ||१||

एक काँधे पर मुगदर सोहे ,
दूजे परवत होय  |
लड्डुअन का तेरो भोग लगत है ,
हाथ पसारे लोग ||२||

तुलसीदास आस रघुवर की ,
हरि चरनन चित होय |
अंग तुम्हारे चोला सोहे ,
लाल लंगोटा होय ||३||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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