बीत जाय उमर हरी नाम बिना

बीत जाय उमर हरी नाम बिना



बीत जाय उमर हरी नाम बिना,
तू सिमरन कर ले मोरे मना |

पंछी पंख बिना, हस्ती दंत बिना,
नारी देखो पुरुष बिना |
वैश्या को पुत्र पिता बिन हीना,
जैसे प्राणी हरी नाम बिना ||1||

कूप नीर बिना, धेनु क्षीर बिना,
मंदिर सूना दीप बिना |
बिना वेद के पंडित विहीना,
जैसे प्राणी हरि नाम बिना ||2||

देह नैन बिना, रैन चंद्र बिना,
धरती सूनी मेह बिना |
बिन फल के ये तरूवर सूना,
जैसे प्राणी हरि नाम बिना ||3||

काम क्रोध मद लोभ निवारो,
ईर्ष्या त्यागो संत जना |
गंग कहे तूं सुन शाह अकबर,
इस जग में नहीं कोई अपना ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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