कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या



कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, 
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
कभी गिरते हुए को उठाया नहीं, 
बाद आंसू बहाने से क्या फ़ायदा ॥

मैं तो मंदिर गया, पूजा आरती की, 
पूजा करते हुए यह ख़याल आ गया ।
कभी माँ बाप की सेवा की ही नहीं, 
सिर्फ पूजा के करने से क्या फ़ायदा ॥1||

मैं तो सतसंग गया, गुरु वाणी सुनी, 
गुरु वाणी को सुन कर ख्याल आ गया ।
जनम मानव का ले के दया ना करी,
 फिर मानव कहलाने से क्या फ़ायदा ॥2||

मैंने दान किया मैंने जप तप किया,
 दान करते हुए यह ख्याल आ गया ।
कभी भूखे को भोजन खिलाया नहीं ,
दान लाखों का करने से क्या फ़ायदा ॥3||

गंगा नहाने हरिद्वार काशी गया, 
गंगा नहाते ही मन में ख्याल आ गया ।
तन को धोया मगर मन को धोया नहीं,
 फिर गंगा नहाने से क्या फ़ायदा ॥4||

मैंने वेद पढ़े मैंने शास्त्र पढ़े, 
शास्त्र पढते हुए यह ख़याल आ गया ।
मैंने ज्ञान किसी को बांटा नहीं, 
फिर ज्ञानी कहलाने से क्या फ़ायदा ॥5||

माँ पिता के ही चरणों में ही चारो धाम है, 
आजा आजा यही मुक्ति का धाम है ।
पिता माता की सेवा की ही नहीं ,
फिर तीर्थों में जाने का क्या फ़ायदा ॥6||


''जय श्री राधे कृष्णा ''

 

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