ऊँचे पहाडो पर बसा है माँ तेरा दरबार

ऊँचे पहाडो पर बसा है माँ तेरा दरबार



ऊँचे पहाडो पर बसा है माँ तेरा दरबार,
मन नहीं करे लौटने को आए जो एक बार।
वैष्णो रानी, ओ महारानी,
सुनलो सुनलो माँ की कहानी॥

शक्ति की परीक्षा ली भैरव ने आके,
गर्भजून में गयी माँ आँचल छुड़ा के।
ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे बरसे तुषार ||1||

नौ महीने बाद निकली हो के विराट,
दंग हुआ देख कर के माँ को भैरवनाथ।
 खडग और त्रिशूल दिया भैरव को मार,
धड से सर जो अलग हुआ, लगी रक्त धार ||2||

अंत समय भैरव ने माँ को पुकारा,
चरणों में शीश धर के भाव से निहारा।
 माँ है दानी, ओ महारानी,
सुनलो सुनलो माँ की कहानी ||3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: