
कन्हैया इक नजर जो आज तुझको देखता होगा ,
मेरे सरकार को किसने सजाया सोचता होगा |
सजा कर खुद वो हैरान है की ये तस्वीर किसकी है ,
सजाया तुझको जिसने भी हंसी तकदीर उसकी है ,
कभी खुश हो रहा होगा खुशी से वो रहा होगा ||१||
जमाने भर के फूलो से कनहैया को लपेटा है ,
कली को गूंथ कर कितने ही गजरो में समेटा है ,
सजा श्रींगार ना पहले ना कोई दूसरा होगा ||२||
फरिश्ते भी तुझे छुप छुप के कान्हा देखते होंगे ,
तेरी तस्वीर में खुद की झलक वो देखते होंगे
हर्ष के दिल पे जो गुजरे ये वो ही जानता होगा ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा '
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