
अधरों पे धर के बंसी , किसको लुभा रहे हो
published on 21 September
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धुन- फूलों में सज रहे हो अधरों पे धर के बंसी , किसको लुभा रहे हो इतना बता दे मोहन , किसको लुभा रहे हो | बनकर तेरा दीवाना , तेरी याद में विचरता , तेरे लिये कन्हैया , ये दिल मेरा धड़कता , अच्छा नहीं जो प्यारे , नज़रें चुरा रहे हो || १ || एक बात पूछता हूँ , क्या मैं भी तुमको भाता , गर प्रेम है बराबर , फिर क्यूँ मुझे सताता , इतना ही कहदे मुझको , क्यूँ जुल्म ढा रहे हो || २ || तेरा रूप है निराला , तेरी शान है निराली , ये बागबाँ है तेरा , और तूँ ही इसका माली , " नन्दू " दया दिखा दे , क्यूँ भाव खा रहे हो || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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आज से पहले , आज से ज्यादा , हँसी आज तक नहीं लगे
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बहुत नाज़ तुम पे , करते हैं हम ,
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