
गिरधर मेरे, मौसम आया , धरती के श्रृंगार का ,
अरे डाल डाल पर, लग गए झूले , बरसे रंग बहार का |
उमड़ घुमड़ काली घटा, शोर मचाती है ,
स्वागत में तेरे सांवरा, जल बरसाती हैं ,
ओ कोयालियाँ कूकती, मयूरी झूमती ,
तुम्हारे बिन मुझको मोहन, बहारे फीकी लगती हैं ||1||
चांदी वरण की चांदनी, अंग जलाती हैं ,
झरनों की यह रागिनी, दिल तडपाती है ,
चली जब पुरवाई, तुम्हारी याद आई ,
गुलो में अंगारे दहके, कसक बढती ही जाती हैं ||2||
श्री राधे के संग में, झूलो जी कान्हा ,
छेड़ रसीली बांसुरी, शीतल हों तन मन ,
तुम्हारी राह में, मिलन की चाह में ,
बिछाये पलके बैठा हूँ, तुम्हारी याद सताती हैं ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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