
धुन- हमें और जीने की चाहत ना होती
मुझे श्याम तेरा , सहारा ना मिलता, तो जीवन ये मेरा , कैसे सँवरता | मेरी ज़िन्दगी ये , इनायत है तेरी, तेरी ही इबादद्त से , मोहब्बत है मेरी , या चाहत का मोती , दामन में गिरता तो जीवन ये मेरा कैसा सँवरता || १ || तेरी चाहतों ने , जीना सिखाया , हँसना सिखाया , रोना सिखाया , तुम्हारी महर का जो , गुलशन ना खिलता तो जीवन ये मेरा , कैसे सँवरता || २ || तेरी बन्दगी में ही , आता मज़ा है, कहता " रवि " तुम बिन , जीना सज़ा है, ना तुम साथ देते तो , भटकता ही फिरता, तो जीवन ये मेरा , कैसे सँवरता || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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