श्री गोवर्धन महाराज ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहयो..

श्री गोवर्धन महाराज ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहयो..

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श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहयो.| तो पे पान चढ़े, तो पे फुल चढ़े, तो पे चढ़े दूध की धार ||1|| तेरे गले में कंठा सोह रहयो, तेरी ठोडी पे हीरा लाल ||2|| तेरे कानन कुण्डल चमक रहयो, तेरे गल वैजयन्ती माल ||3|| तेरी झांकी जग से न्यारी हैं. तेरी झांकी बनी विशाल ||4|| तेरे मानसी गंगा बहे सदा, तेरी माया अपरम्पार ||5||. तेरी सात कोस की परिकरमा, चकलेश्वर है विश्राम.||6|| ब्रज मंडल जब डूबत देखा, ओ जब ग्वाल बाल व्याकुल देखा, लिया नख पर गिरिवर धार ||7|| गोवर्धन जी अति पावन हैं, ओ वृन्दावन जी मनभावन हैं और पावन ब्रज की माट.||8|| ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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