
धुन- तेरे मेरे होंठो पे
तूँ है मेरे बचपन का , मीत मेरे साँवरिया , छोड़ मुझे तूँ क्यूँ गया , नटवर नागरिया |
बचपन की वो हर रात , संग-संग में खेला है, ऐसी क्या भूल हुई , मुझे छोड़ा अकेला है, क्या तुझे मिल गया , मीत नया साँवरिया || १ ||
हर वक़त साथ रहा , तेरे रूप में गुरुवर का , सब कुछ भुला कर मैं , किया गुणगान दर का, अब क्या सुहाता नहीं , गीत मेरे साँवरिया || २ ||
होती दया जिस पर , वो डूबता कभी भी नहीं, मुझको विशवास तुझपर , आस होगी कभी तो पूरी, इसी आस पे " संदीप " , आता है साँवरिया || ३ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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