हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी।

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी।




हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी।

व्यर्थ बिताती है क्यों जीवन, 
मुख मन्दिर में पड़ी पड़ी||1||

नित्य निकाल गोविन्द नाम की,
 स्वांस स्वांस से लड़ी लड़ी ||2||

जाग उठे तेरी ध्वनि सुनकर,
 इस काया की कड़ी कड़ी,||3||

बरसादे प्रभु नाम सुधारस ,
बिन्दु बिन्दु की झड़ी झड़ी ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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