
धुन- ओ बसन्ती पवन पागल
ओ सलोने श्याम सुन्दर आजा रे आजा-कान्हाँ मेरे |
क्या खता हमसे हुई जो तन्हाई हमको मिली, दे ज़रा दर्शन दयालु खिल उठे मन की कली , मेट दे बिरहा की घड़ियाँ , आजा रे कान्हाँ मेरे || १ ||
याद कर तूने किया था हमसे जो इकरार है, वो तेरा वादा निभाले दिल मेरा बेकरार है, झर रहे नैनों से आँसू , आजा रे आजा कान्हाँ मेरे || २ ||
कौल करके भूल जाना साँवरे अच्छा नहीं , प्रेम का धागा हमारा जान ले कच्चा नहीं , " हर्ष " तेरी राह देखूँ , आजा रे आजा कान्हाँ मेरे || ३ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: