दीन बन्धु आप ही तो , दीन के आधार है

दीन बन्धु आप ही तो , दीन के आधार है



धुन- हे प्रभु आनन्द दाता

दीन बन्धु आप ही तो , दीन के आधार है नैन चौखट पे लगे हैं , सांवले सरकार है |

राह पलकों से बुहारूँ , कब पधारेंगे हजुर भाव का जाजम बिछाऊँ , भाव का श्रृंगार है || १ ||

धूल चरणों की प्रभु के , मस्तक पे मेरे धरूँ आप ही के नाम से , दुनियाँ मेरी गुलज़ार है || २ ||

दृष्टि कब होगी दया की , हे प्रभु इस दास पर इस पुरानी नाव की तो , आप ही पतवार हैं || ३ ||

" श्याम बहादुर " की निगाहें , ढूंढती है श्याम को श्याम सुन्दर आप ही " शिव " , ज़िन्दगी का सार है || ४ ||

जय श्री राधे कृष्ण


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