
धुन - लूट रहा लूट रहा लूट रहा रे
जगमग जगमग जल रही जी ,
श्याम की ज्योति जल रही जी
जिसने भी विश्वास किया , किस्मत उसकी बदल रही जी |
प्रेमियों ने शुद्ध भाव से , तेरी ज्योत जगाई है
सुन्दर सुन्दर फूलों से , प्रभु झांकी तेरी सजाई है
जिसने भी दर्शन पाया-उसकी इच्छा फल रही जी || १ ||
ब्रह्म लोक में धूम हो रही , धरती मंगल गाय रही
ज्योत की आभा इतनी सुन्दर , सूर्य किरण शर्माय रही
इसके नूर से रोशन हो , तारों में झिलमिल हो रही जी || २ ||
मन चाह फल पल में पाता , जो भी ज्योत जगाता है
पग पग पर खुशियाँ मिलती है , दिल ना कभी घबराता है
श्याम कृपा की इस ज्योति से , " तेजू " की नैया चल रही जी || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
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