
मुझको राधारमण कर दो ऐसा मगन,
रटूँ तेरो नाम मैं आठों याम |
करुणा निधान आप करुणा कर दीजिये,
ब्रज में बसा के मुझे सेवा सुख दीजिये,
प्रेम से भर दो मन,गाउँ तेरे भजन ||1||
भाव भरे भूषणों से आपको सजाऊँ मैं,
नित नव भोग निज हाथों से पवाऊं मैं,
करो जब तुम शयन,दाबूं तेरे चरण ||2||
रटु तेरो नाम मै आठो याम
जब भी विहार करो प्यारी संग सांवरे ,
फूल बन जाऊँ जहाँ धरो तुम पांव रे,
बन के शीतल पवन, लागूं तोरे बदन ||3||
तुम्हे देख जियूं तुम्हे देख मर जाऊँ मैं,
जन्म जन्म तेरो दास ही कहाऊं मैं,
रखना अपनी शरण,करना मन में रमन ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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