
तर्ज़-रेशमी सलवार कुर्ता जाली का
साँवरे को, साँवलो रँग, भाय गयो
रूप सुहाणो म्हापर, जादू ढाय गयो
ऐंको प्यारो प्यारो मुखड़ो, ऐंकी सुरतिया मन भावै
ऐंकी बाँकी बाँकी चितवन, जो सैं को मनड़ो लुभावै
रँग बरसाय गयो ||1||
ऐंका तीखा तीखा नैणा, नैणा स्यूं इमरत बरसै
ऐंकि जादूगारी मुलकण, देखण नै मनड़ो तरसै
हियो भरमाय गयो ||2||
म्है जद जद श्याम नै निरखां, मन मतवालो हो ज्यावै
कह्वै दास "रवि" सब भूलाँ, म्हारी सुध बुध सा खो ज्यावै
श्याम मन भाय गयो ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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