
धुन- म्हारे कालजे री कोर
जय जय पवन पुत्र हनुमान , करस्यां थारो गुणगान
म्हारी ओर निहारो जी , म्हारी ओर निहारो जी || टेर ||
श्री राम की सेवा खातिर , थे धरती पर आया
ज्ञान ध्यान और भक्ति भाव को , जग मं दीप जलाया
थे तो हो भगतां रा सिरमौर , थारी कर सके न कोई होड़ || १ ||
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता , थारो रुतबो भारी
साधू संत और भक्तजनों की , करता थे रखवारी
म्हारी पीड़ा मेटो आज , बाला थारे हाथां लाज || २ ||
प्रभु भक्ति क रंग मं बाला , म्हारो मन तन रंगदयो
हर पल पाऊँ साथ तुम्हारो , ऐसो म्हान वरदयो
" नन्दू " दासां को दास , बन्ज्या थारो खासम ख़ास || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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