
धुन- मेरे सामने वाली खिड़की में
मेरे सामने खाटू वाले ने , लाखों की बिगड़ी बनायीं है
दरबार में आया जो भी , बाबा ने करी सुनाई है || टेर ||
इन्साफ मिला लोगों को यहाँ , बाबा के दीवाने बन बैठे
रहते हैं मस्ती में , बस प्यार इसी से कर बैठे
परेशान थे जो ज़िन्दगी से , बाबा ने राह दिखाई है || १ ||
हर बार पुकारा बाबा को , वो लाज बचाने आया है
ये सुनी सुनाई बात नहीं , हमने भी तो आजमाया है
सरकार ने भक्तों के लिए , अपनी सरकार बनाई है || २ ||
भण्डार में इसके कमी नहीं , दिल खोलके माल लुटाता है
" बनवारी " देने लगता है , दामन छोटा पड़ जाता है
इंकार तो करता ही नहीं , जिसने भी अर्ज लगायी है || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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