
धुन- मैं निकला गड्डी लेकर
भक्तों का रखवाला , मेरा बाबा खाटूवाला
मैं नचित ही गया , श्याम मनमीत ही गया || टेर ||
जो श्याम शरण में आता है , सांवरिये का ही जाता है
दुःख दर्द भरी इस दुनियाँ में , वो जरा नहीं घबराता है
पीकर के , नाम प्याला , होकर के मतवाला || १ ||
जो होना है वो होता है , विधना का ऐसा लेखा है
अपने भक्तों को सांवरिया , पग पग पर सहारा देता है
मैंने जबसे , इनको जाना , इन्हें दिल से , अपना माना || २ ||
सृष्टि के मालिक साँवरिया , जग में संचालक साँवरिया
सब देवी देवता नमन करें , हैं कष्ट विदारक साँवरिया
" नन्दू " खुद को , सौंप इनको , चरणों में , लगा मन को || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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