
बांसुरी बजाय आज रंगसो मुरारी ,
शिव समाधि भूलि गयी मुनि मनकी तारी ॥
बेद भनत ब्रह्मा भुले भूले ब्रह्मचरी ,
सुनतही आनंद भयो लगी है करारी ॥ 1 ॥
रंभा सब ताल चूकी भूमी नृत्य कारी ,
यमुना जल उलटी बहे सुधि ना सम्हारी ॥ 2 ॥
श्रीवृंदावन बन्सी बजी तीन लोक प्यारी ,
ग्वाल बाल मगन भयी व्रजकी सब नारी ॥ 3 ॥
सुंदर श्याम मोहन मुरती नटबर वपुधारी ,
सूरकिशोर मदन मोहन चरण कमल बलिहारी ॥ 4 ॥
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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