
धुन- घर में हो तस्वीर तेरी
घर मेरे कब आओगे , आकर प्रीत निभाओगे
रास्ता निहारूँ बार बार , आ रे कन्हैया एक बार ||
तेरे मन्दिर में तो कान्हां , रोज हाज़री देता हूँ
मेरी ओर से मैं मनमोहन , अपना फ़र्ज़ निभाता हूँ
तू भी निभाजा एक बार , आ रे कन्हैया एक बार || १ ||
राम रूप भीलनी के घर , झूठे बेर चखे तूने
मिझसे जैसा बना परोसा , आज बनाया है मैंने
आके तू खा जा सरकार , आ रे कन्हैया एक बार || २ ||
प्रेमीजन को " हर्ष " कन्हैया , यूँ तरसाना ठीक नहीं
माना आप बड़े हो लेकिन , यूँ इतराना ठीक नहीं
प्रीत में कैसी मनुहार , आ रे कन्हैया एक बार || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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