
मैं तो सांवर के रंग राती । हरे कृष्णा
कोर्इ के पिया परदेश बसत हैं, लिख-लिख भेजै पाती ।
मेरा पिया मेरे हिये बसत है, ना कहुँ आती जाती ।|1||
और सखी मद पी-पी माती, मैं बिन पीयाँ ही माती ।
प्रेमभठीकों मैं मद पीयो, छकी फिरूँ दिन-राती ।|2||
पीहर बसूं न बसूं सास घर, सतगुरू संग लजानी ।
दासी मीरा के प्रभु गिरधर, हरि चरणन की मैं दासी ।|3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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