
जब होवे सच्चा प्यार क्यों न मिले कन्हैया
जब मिले तार से तार क्यों न मिले कन्हैया
चंचल मन को तू समझा ले
हरि चरणों में प्रीत लगा ले
मन से तज दे अहंकार क्यों न मिले कन्हैया||1||
पिता ने जब प्रहलाद सताया
अपने प्रभु का धयान लगाया
नरसिंह लिया अवतार क्यों न मिले कन्हैया||2||
दुर्योधन ने जाल बिछाया
अर्जुन कृष्ण की शरण में आया
बने सारथी कृष्ण मुरार क्यों न मिले कन्हैया||3||
जो तू भजन करे दिन राति
श्याम सुन्दर तेरा बन जाये साथी
तू शरण तो आ इक बार क्यों न मिले कन्हैया||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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