
मुझे पाती लिखना सिखला दो
हे प्रभु नयनों के पानी से ।
बतला दो कैसे शुरू करुंगा
किसकी राम कहानी से ।।
घोलूँगा कौन रंग की स्याही,
किस टहनी की बने कलम
है कौन कला जिससे पिघला,
करते हो लीलामय प्रियतम,
हे प्रभु तुम प्रकट हुआ करते हो,
किस मनभावनि वाणी से-||1||
कैसा होगा पावन पन्ना,
कैसे होंगे अनुपम अक्षर
कोमल अंगुलि में थाम जिसे,
तुम पढ़ा करोगे पहर-पहर,
कैसे खुश होंगे रूठ गये,
क्या प्रभु मेरी नादानी से ||2||
अपनी प्रिय विषयवस्तु बतला दो
, सच्चे प्रभु त्रिभुवन-साँईं
क्या कहाँ रखूँगा,
कितनी होगी प्रेम-पत्र की लम्बाई,
कब प्रभु अंतरतम जुड़ जायेगा
सच्चे अवढर दानी से ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा''
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