
प्रेम जब अनंत हो गया, रोम रोम संत हो गया.
देवालय बन गया बदन, संत तो महंत हो गया.
प्रेम-प्रेम सब कोई कहे पर प्रेम न जाने कोई,
शीश काट हाथ ही रखो, प्रेम कहावे सोय||1||
आजा मेरे सावरे पलक ढाप तोहे लेयूं,
ना मैं देखू कोई कूं, ना तोहे देखन देयूं||2||
लाली मेरे लाल की, जित देखू तित लाल,
लाल ही देखन मैं चली , मैं भी हो गए लाल||3||
प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया,
देवालय बन गया बदन, संत तोह महंत हो गया
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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