
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना ,
जिसे में उठाने के काबिल नही हूँ
में आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ
तेरे दर पे आने के काबिल नही हूँ ॥
ये माना की दाता हो तुम कुल जहाँ के
मगर कैसे झोली फैलाऊं में आके
जो पहले दिया है वो कुछ कम नही है,
उसी को निभाने के काबिल नही हूँ ॥1||
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तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी
तेरे महिमा फिर भी मेने न जानी
करजदार तेरे दया का हूँ इतना
ये कर्जा चुकाने के काबिल नही हूँ ॥ 2||
यही मांगता हूँ मै सिर को झुका लूँ
तेरा दीद इस बार जी भर के पा लूँ
सिवा दिल के टुकड़े ए मेरे दाता में
कुछ भी चढाने के काबिल नही हूँ ॥3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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