
कृष्ण कन्हिया तुमको आना होगा,
भक्तों को दर्शन दिखाना होगा
श्याम सलोना रुप तुम्हारा कितना सुंदर होगा
जमुना जी के जल से कान्हा, तुमको नहलायेंगे
मलियागिरि के चंदन का कान्हा तिलक लगायेंगे,
मोर् मुकुट उसपे सुहाना होगा||1||
सावन के झुलों मै कन्हा तुमको झुलायेंगे
हाथी घोड़ा ओर पालकी पे तुमको बठायेंगे,
राधा जी को साथ मै लाना होगा||2||
गऊ माता के दुध का कान्हा, माखन खिलायेंगे
मिश्री ओर मेवे का कान्हा भोग भी लगायेंगे,
छ्प्पन भोग तुमको खाना होगा ||3||
जमुना तट पर धुन मुरलि की तुम्ही मधुर बजाओगे
ग्वाल बाल संग गोपियों के कान्हा नाच नचाओगे,
मधुबन मै रास रचाना होगा||4||
जब जब भीड़ पड़ी भक्तों पे कन्हा तुम्ही आये हो
इस भारत भुमि का कान्हा तुम्ही भार मिटाये हो,
मैं भी भक्तो के संग तेरी सेवा में होगा ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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