
दरबार में राधा रानी के,
दुःख दर्द मिटाये जाते हैं।
दुनिया के सताये लोग यहाँ,
सीने से लगाये जाते हैं।।
ये महफिल है मस्तानों की,
हर शख्स यहाँ पर मतवाला।
भर भर के जाम इबादत के,
यहाँ सब को पिलाये जाते हैं ||1||
ऐ जगवालों क्यों डरते हो?
इस दर पर शीश झुकाने से।
ऐ नादानों ये वह दर है,
सर भेंट चढ़ाये जाते हैं ||2||
इलज़ाम लगानेवालों ने,
इलजाम लगाए लाख मगर
तेरी सौगात समझ करके,
हम सिर पे उठाये जाते हैं||3||
जिन प्यारों पर ऐ जगवालों !
हो खास इनायत श्री राधे की।
उनको ही संदेशा आता है,
और वो ही बुलाये जाते है||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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