
ओ भगवान को भजने वाले धर ले मन में ध्यान
भाव बिनु मिले नहीं भगवान
दुर्योधन की छोड़ी मेवा विदुरानी की भा गयी सेवा
श्रध्हा और समर्पण से ही रीझै है भगवान
भाव बिनु मिले नहीं.||1||
झूठे फल शबरी के खाए राम ने रूचि रूचि भोग लगाए
जो ढूंढे उसको मिल जाये कहते वेद पुराण
भाव बिनु मिले.नहीं.||2||
ध्रुव प्रहलाद सुदामा तेरा नरसी भगत का मिटाया फेरा
भूल गए मोहन ठकुराई बन गए सेवक आन
भाव बिनु मिले नहीं .||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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