
नाथ मैँ थारोजी थारो !
चोखो , बुरो , कुटिल अरु कामी जैसो हूँ थारो ।।
बिगड़्यो हूँ तो थारो बिगड़्यो , थे ही मनै सुधारो ।
सुधर्यो तो प्रभु सुधर्यो थारो , थाँ सूँ कदे न न्यारो ।।1||
बुरो , बुरो , मैँ भोत बुरो हूँ , आखर टाबर थारो ।
बुरो कुहाकर मैँ रह जास्यूँ , नाँव बिगड़सी थारो ।।
थारो हूँ थारो ही बाजूँ , रहस्यूँ थारो थारो !!।
आँगलियाँ नुहँ परै न होवै , या तो आप बिचारो ।।2||
मेरी बात जाय तो जाओ , सोच नही कछु म्हारो ।
मेरे बड़ो सोच यो लाग्यो , बिरद लाजसी थारो ।।
जचै जिसतराँ करो नाथ ! अब मारो चाहे त्यारो ।
जाँघ उघाड़्याँ लाज मरोगा , ऊँडी बात बिचारो ।। 3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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