
नींद कभी रहती थी आँखों में
अब रहते हैं साँवरिया
चैन कभी रहता था इस दिल में
अब रहते हैं साँवरिया
लोग मुझसे कहें, देखो उधर निकला है चाँद
कौन देखे उधर, जाने किधर निकला है चाँद
चाँद कभी रहता था नज़रों में
अब रहते हैं साँवरिया||1||
झूठ बोली पवन, कहने लगी आई बहार
हम बाग़ में गए, देखा वहाँ प्यार ही प्यार
फूल रहते होंगे चमन में कभी,
अब रहते हैं साँवरिया||2||
बात पहले थी और, तूफ़ान थे डरते थे हम
बात अब और है, अब है हमें काहे का गम
साथ कभी माझी थे सँग लेकिन,
अब रहते हैं साँवरिया||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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