आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,

आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,





आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,
मुझ को तेरा सहारा सदा चाहिए।

चाँद तारे फलक पर दिखे ना दिखे,
मुझ को तेरा नज़ारा सदा चाहिए॥
धन दौलत जहाँ की मिले ना मिले,
सतगुरु तेरे चरणों की रज चाहिए॥1||


यहाँ खुशिया हैं कम, और जयादा है गम,
जहाँ देखो वहीँ है देखो हरम ही हरम।
मेरी महफ़िल में शम्मा जले ना जले,
मेरे दिल में उजाला तेरा चाहिए॥2||

कभी वैराग है, कभी अनुराग है,
जहाँ बदले माली वाही बाग़ है।
मेरी चाहत की दुनिया बसे ना बसे,
मेरे दिल में बसेरा तेरा चाहिए॥3||

मेरी धीमी है चाल, और पथ है विशाल,
हर कदम पर मुसीबत पे, अब तू संभाल।
पैर मेरे थकें हैं, चले ना चले,
मेरे दिल में इशारा तेरा चाहिए॥4||

मैं हूँ संसार के हाथों में विवश,
और संसार यह तेरे हाथों में है।
पर हित है तू जल थल नभ  में है तू,
मुझे अव्दूत तेरी शरण चाहिए॥5||

कभी बैराग है, कभी अनुराग है,
जिन्दगी बिन धुंए की अजब आग है।
मान सम्मान जग में मिले ना मिले,
बस कृपा होनी बाबा तेरी चाहिए॥6||

मेरे सतगुर जी आप हैं दया निधि,
मुझे क्या चाहिए, जान लो आप ही।
क्या कहूँ तुमसे स्वामी छिपाऊं मैं क्या,
दर्द सहने की शक्ति प्रबल चाहिए॥7||


''जय श्री राधे कृष्णा ''


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