
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥
जीवन आनी जानी छाया,
झूठी माया, झूठी काया,
फिर काहे को साड़ी उमरिया,
पाप को गठरी ढोई॥1||
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
यह जग योगी वाला फेरा।
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई॥2||
बाहर की तो माटी फांके,
मन के भीतर क्यूँ ना झांके।
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई॥3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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