
श्याम का जो सहारा न होता
तो कर्ण अर्जुन से हारा न होता |
रण में धँसता न पहिया जो रथ का
तीर अर्जुन ने मारा न होता |
पाँचों पति मौन बैठे सभा में
उनके ताले पड़े हैं जुबां में
द्रोपदी ने पुकारा न होता
कर्ण अर्जुन से हारा न होता||१||
जल के अंदर से गज ने पुकारा
नाथ आकर के दे दो सहारा
कृष्णा का जो इशारा न होता
कर्ण अर्जुन से हारा न होता||२||
बनके ब्राह्मण परशुराम जी से
शस्त्र सीखे थे धोखा धड़ी से
श्राप भ्रगपति ने दीन्हा न होता
कर्ण अर्जुन से हारा न होता||३||
पास में थे कवच कान कुंडल
कर दिए दानी ने दान हँसकर
इन्द्र दामन पसारा न होता
कर्ण अर्जुन से हारा न होता||४||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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