
सुख भी मुझे प्यारे हें,दुःख भी मुझे प्यारे हैं
छोडूँ मैं किसे भगवन ,दोनों ही तुम्हारे हैं
सुख दुःख ही तो दुनिया की गाड़ी को चलाते हैं
सुख दुःख ही तो हम सब को, इन्सान बनाते हैं
संसार की नदिया के दोनों ही किनारे हैं
छोडूँ मैं किसे भगवन ,दोनों ही तुम्हारे हैं||1||
.
दुःख चाहे न कोई भी ,सब सुख को तरसते हैं
सुख में सब हँसते हें, दुःख में सब रोते हैं
सुख मिले उसे जिसने दुःख भी तो सहारे हैं
छोडूँ मैं किसे भगवन ,दोनों ही तुम्हारे हैं||2||
में कैसे कहूँ मुझको ये दे दे या वो दे दे
जैसी तेरी मर्जी हो,मर्जी से जो तू दे दे
मैंने तो तेरे आगे ,दोनों हाथ पसारे हैं
छोडूँ मैं किसे भगवन ,दोनों ही तुम्हारे हैं||3||
जो है तेरी रजा उसमे , दे दूँ में दखल कैसे
में कैसे कहूँ मेरे , कर्मो का हे फल कैसे
चख कर भी न देखूँगा ,मीठे हे या खारे है
छोडूँ मैं किसे भगवन ,दोनों ही तुम्हारे हैं||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: