
हे हनुमान् बहु बलवान्
भक्ति ज्ञान वैराग्य की खान् |
संकट मोचन तू कहलाये
राम बिना तुझे कुछ् न भाये
तेरा द्वार् जो भी खट्काये
बिन् कुछ् पाये घर् नही जाये ||1||
दुर्बल् को बलवान् बनाये
हर् संकट् पल् मे टल् जाये
तेरा गान् करे जो कोई
उसे न कोई विपदा होई ||2||
हर् मुश्किल आसान् तु कर् दे
भक्तजनों के दुःख् तू हर् ले
मन् के अंधियारों को मिटा के
भवसागर् से पार् करादे ||3||
सच्चिदानंद हे प्रिय हनुमान्
दूर् करो मेरा अज्ञान्
थका बहुत् जीवन् चक्कर् से
कृपा निधान् दो निर्वाण् ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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