श्रद्धा रखो जगत के लोगो,

श्रद्धा रखो जगत के लोगो,



श्रद्धा रखो जगत के लोगो,अपने दीनानाथ में।

लाभ हानि जीवन और मृत्यु,सब कुछ उसके हाथ में
मारने वाला है भगवान,बचाने वाला है भगवान।
बाल ना बांका होता उसका,जिसका रक्षक दयानिधान ॥1||

त्याग दो रे भाई फल की आशा,स्वार्थ बिना प्रीत जोड़ो।
कल क्या होगा इस की चिंता,जगत पिता पर छोड़ो।
क्या होनी है क्या अनहोनी,सब का उसको ज्ञान॥2||

जल थल अगन आकाश पवन पर केवल उसकी सत्ता।
प्रभु इच्छा बिना यहाँ पर हिल ना सके एक पत्ता।
उसी का सौदा यहाँ पे होता,उस की शक्ति महान॥3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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