
सच्चा है दरबार शेरा वाली का
तू बन जा सेवादार शेरावाली का
माँ बक्श रही भंडारे, है बैठ गुफा के अंदर
ना महिमा बर्नी जाए, एसा है सुंदर मन्दर
ऐसा है सुंदर मन्दर मेहरा वाली का ||1||
यह जगदम्बे महारानी, बक्शे कई अवगुण हमारे
माँ रूप निराला धारे, और पापी दुष्ट संहारे
पापी दुष्ट संहारे रूप धर काली का ||2||
दुखियो के दुःख ये हरती, जो आके सिर को झुकाए
निश्चेय जिनके है मन मे, दीदार वही तो पाए
दीदार बही तो पाए भवना वाली का ||3||
इस महामाया की माया , कोई भी समझ ना पाया
कोई माने या ना माने, भक्तों ने भेद बताया
भक्तों ने भेद बताया कथा निराली का ||4||
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