
कृष्ण की दीवानी बनकर, मीरां ने घर छोड़ दिया।
ऐक राजा की बेटी ने, गिरधर से नाता जोड़ लिया॥
नाचे गावे मीरांबाई, ले कर मन का इक तारा।
पाँव मे घुँघरू गले मेँ माला, भेष योगिन का ही धारा॥
राणा कुल की आन बान को, सब मीरां ने तोड़ दिया। 1||
पी गई मीरांबाई देखो, राणा के विष का प्याला।
क्या बिगाड़ सकता है कोई, जिसका गिरधर रखवाला॥
मन मोहन के रंग मेँ रंगकर, मीरां ने जग छोड़ दिया। 2||
श्याम शरण मेँ जो भी आते, श्याम के ही बन जाते है।
भजन भाव मेँ भक्त दयालु, मीरां के गुण गाते है॥
भव सागर से तीर गई मीरां, देह का बन्धन तोड़ दिया। |3||
''जय श्री राधे कृष्णा''
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