सुनो वृषभान लली ना रोओ, कान्हा जल्दी आयेंगे,

सुनो वृषभान लली ना रोओ, कान्हा जल्दी आयेंगे,




सुनो वृषभान लली ना रोओ, कान्हा जल्दी आयेंगे,
कि कान्हा जल्दी आयेंगे, मधुर बाँसुरी बजायेंगे ॥

मथुरा की राह पकड कर गोकुल को भूल गये है,
वो डाल कदम्ब की व्याकुल जिस डाल पे झूल गये है,
पूनम शरद की आनी है, कान्हा रास रचायेंगे ॥1||

द्रोपदी की लाज बचाने, अर्जुन की विपत मिटाने,
शबरी के बेर की भांति, कुब्जा से केले खाने,
सुन भक्तो की रार-पुकार, कान्हा दौडे आयेंगे ॥2||

रूकमणी तो बस पत्नी है, मीरा तो प्रेम सखी है,
राधा जान तू कान्हा की, तू तो उनके दिल में बसी है,
दो-दो तन मे एक है जान, कान्हा छोड ना पायेंगे ॥3||

कान्हा कसम है खिलते सुमन की, हंसते हुए वृंन्दावन की,
गोकुल, गैया, ग्वालन की, माठा, मटकी, छींकन की,
अबकी बार दिया जो झांसा, कान्हा हम मर जायेंगे ॥4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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