
आनंद स्रोत बह रहा पर तू उदास है ,
अचरज है जल में रहकर मछली को प्यास है||
फूलों में सुवास है ,ईख में मिठास है ,
वैसे ही सारे विश्व में ईश्वर का वास है ||१||
कुछ तो समय निकालो ,प्रभु भक्ति के लिए
नर जन्म का उद्देश्य न केवल विलास है ||२||
अब ज्ञान चक्षु खोलकर कुछ देख तो सही
जिसको तू ढूंढता है वह प्रभु तेरे पास है ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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