
कृष्ण को निष्काम भज ले, इक दिन यहाँ से जाना है|
तन को स्वयं न समझ रे, यह माटी में मिल जाना है।
चार कांधों की करके सवारी,ढ़ोल बाजे संग जाना है॥
उड़ जायेगा हँस अकेला,तन तो माटी बन जाना है।|1||
मात-पिता का कहा मानकर,नियत कर्तव्य निभाना है।
गुरु वचनों पर श्रद्धा रखकर,कृष्णा में ध्यान लगाना है।
सत वचनो से निर्मल होकर,सभी को सुख पहुँचाना है॥2||
माया के आधीन होकर भी,गोविन्द को न बिसराना है।
सब में अपने प्रभु को देख,प्रभु का हुकुम बजाना है॥
प्रभु भक्ति से पावन होकर,प्रभु चरणों में मिल जाना है।|3||
काम क्रोध मद लोभ त्याग,मन में आनन्द जगाना है।
जगत की शरण छोड़,जगदीश शरण में जाना है॥
प्रभु भक्तों का सेवक बन,पल-पल मौज मनाना है॥4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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