
श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो|
तेरी सात कोस की परिक्रमा
और चकलेश्वर विश्राम ||१||
हो तो पे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े
तो पे चढ़े दूध की धार ||2||
तेरे कान में कुंडल सोने के
थोड़ी पे हीरा लाल ||३||
तेरी झांकी जग से न्यारी है
दर्शन करते न्र नारी हैं
तेरी झांकी बनी विशाल ||४||
गोवर्धन ही अति पावन हैं
वृंदावन तो मनभावन हैं
तो पे हो जाऊँ बलिहार ||५||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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