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सांवरी सूरत मोहिनी मूरत के,कितने रूप दिखा गया कृष्णा।
कभी प्रेमी कभी सारथी बन,गुरु का धर्म निभा गया कृष्णा॥
विराट रूप दिखाकर ब्रह्माण्ड के,हर लोक में छा गया कृष्णा।
छोटा रूप बनाकर यशोदा की, गोद में समा गया कृष्णा॥1||
चोरी छुपे अटारी पर चढ़कर,चोरी से माखन खा गया कृष्णा।
कभी चीर चुराए गोपियों के तो,कभी मटकी फोड़ गया कृष्णा॥2||
गोपीयों का नटखट चितचोर,चोरी में नाम कमा गया कृष्णा।
मीरा का मनमोहन घनश्याम,राधा का चैन चुरा गया कृष्णा॥3||
राधा त्याग की राह चली तो,हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा।
राधा ने प्रेम की आन रखी तो,प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा॥4||
कृष्णा के मन भा गई राधा,राधा के मन समा गया कृष्णा।
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा, राधा को राधा बना गया कृष्णा॥5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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